Mauni Amavasya 2026 Date: नववर्ष 2026 की शुरुआत में आने वाली मौनी अमावस्या को अत्यंत पवित्र माना गया है। नए वर्ष की पहली अमावस्या माघ महीने में पड़ती है, इसलिए इसे माघ अमावस्या या माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर मौन रहकर स्नान, दान और जप करने से मन, वाणी और विचारों की पवित्रता बढ़ती है। यही कारण है कि इसे ‘मौनी अमावस्या’ भी कहा गया है। हिंदू पंचांग में अमावस्या का विशेष महत्व है और इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है तथा पितृदोष का प्रभाव दूर होता है।
नए साल 2026 की पहली अमावस्या: मौनी अमावस्या क्यों कहलाती है?
मौनी अमावस्या का संबंध मौन पालन की परंपरा से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि माघ महीने में गंगा स्नान के साथ दान, पूजा और व्रत करने पर व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस दिन नदी में स्नान करके तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस तिथि पर देवताओं और पितरों दोनों को तुष्टि मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं में यह भी वर्णित है कि इस दिन अधिक से अधिक दान करने से मनुष्य के जीवन में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसलिए इसे न केवल आध्यात्मिक दिवस माना जाता है, बल्कि इसे पितृ तर्पण का शुभ पर्व भी समझा जाता है।
नए साल 2026 में कितनी अमावस्या होंगी?
हिंदू पंचांग में वर्षभर में बारह महीने होते हैं और प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की समाप्ति पर अमावस्या आती है। इस प्रकार एक वर्ष में कुल 12 अमावस्या होती हैं। वर्ष 2026 में भी 12 अमावस्या पड़ेंगी, जिनमें दो सोमवती अमावस्या और दो शनि अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। इन दोनों का स्वरूप अत्यंत विशेष माना गया है, क्योंकि यह क्रमशः भगवान शिव तथा शनि देव के उपासना दिवस माने जाते हैं।
सोमवती और शनि अमावस्या का धार्मिक महत्व
सोमवती अमावस्या के बारे में माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव–पार्वती की विधिवत पूजा करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा तथा परिवार की सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।
वहीं शनि अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है। यह तिथि शनि ग्रह के शांतिदायी प्रभाव को प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। जब अमावस्या शनिवार को आए, तब शनि देव की पूजा, दान–पुण्य और उपाय करने से साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष के प्रभाव कम होते हैं।
मौनी अमावस्या 2026 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार 2026 में माघ कृष्ण अमावस्या तिथि 18 जनवरी को 12:03 AM से आरम्भ होकर 19 जनवरी को 01:21 AM तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर मौनी अमावस्या 18 जनवरी 2026, दिन रविवार मानी जाएगी। इस वर्ष की अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिसके कारण यह अमावस्या और भी फलदायी मानी जा रही है।
नए साल में कब आएंगी शनि अमावस्या?
नए साल में दो शनि अमावस्या पड़ेंगी। पहली शनि अमावस्या 16 मई 2026, शनिवार को रहेगी जबकि दूसरी 10 अक्टूबर 2026, शनिवार को पड़ेगी। इस प्रकार वर्ष में दो ऐसे अवसर होंगे जब शनि देव की विशेष प्रसन्नता प्राप्त करने का आध्यात्मिक समय बनेगा।
2026 का अमावस्या कैलेंडर (पूरा सूची)
18 जनवरी, दिन रविवार: मौनी अमावस्या, माघ या माघी अमावस्या
17 फरवरी, दिन मंगलवार: दर्श अमावस्या, फाल्गुन अमावस्या, पहली भौमवती अमावस्या
19 मार्च, दिन बृहस्पतिवार: चैत्र अमावस्या
17 अप्रैल, दिन शुक्रवार: दर्श अमावस्या, वैशाख अमावस्या
16 मई, दिन शनिवार: दर्श अमावस्या, ज्येष्ठ अमावस्या, पहली शनि अमावस्या
15 जून, दिन सोमवार: ज्येष्ठ अधिक अमावस्या, पहली सोमवती अमावस्या
14 जुलाई, दिन मंगलवार: दर्श अमावस्या, आषाढ़ अमावस्या
12 अगस्त, दिन बुधवार: दर्श अमावस्या, श्रावण या सावन अमावस्या
11 सितंबर, दिन शुक्रवार: भाद्रपद अमावस्या
10 अक्टूबर, दिन शनिवार: दर्श अमावस्या, आश्विन अमावस्या, दूसरी शनि अमावस्या
9 नवंबर, दिन सोमवार: कार्तिक अमावस्या, दूसरी सोमवती अमावस्या
8 दिसंबर, दिन मंगलवार: दर्श अमावस्या, मार्गशीर्ष अमावस्या, दूसरी भौमवती अमावस्या
अमावस्या के दिन स्नान और तर्पण का महत्व
मौनी अमावस्या ही नहीं, वर्ष की हर अमावस्या पर धार्मिक रूप से स्नान, दान और पितृ तर्पण को अत्यंत शुभ कहा गया है। इस दिन नदी में स्नान करने के बाद पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और दान करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। पितृदोष, कुलदोष अथवा अन्य पितर संबंधी बाधाओं में भी इस दिन पूजा–पद्धति करने से लाभ बताया गया है।
अमावस्या को प्रकृति और ऊर्जा के स्वरूप का मिलन दिवस भी समझा जाता है। इसलिए साधक ध्यान और योग के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
नए साल 2026 की शुरुआत मौनी अमावस्या से होने वाली है, जो पवित्रता, साधना और पितृ तर्पण का श्रेष्ठ अवसर प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त वर्ष में आने वाली शनि अमावस्या और सोमवती अमावस्या भी धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत प्रभावी मानी जा रही हैं। इस पूरे वर्ष में 12 अमावस्या पड़ेंगी और प्रत्येक तिथि अपने-अपने महत्व के साथ श्रद्धालुओं के लिए पुण्य संचय का अवसर लाएगी।
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