हिंदू धर्म के पावन पर्वों में से एक अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही इसी दिन वेद व्यास, महर्षि नारद और भगवान हनुमान का जन्म भी हुआ था.
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को “अक्षय” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन किए गए दान-पुण्य और शुभ कर्म अक्षय फलदायी होते हैं. इनका पुण्य अनंत गुना बढ़कर प्राप्त होता है. इस दिन की गई पूजा-अर्चना से भी भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए किसी भी कार्य का फल अक्षय अर्थात अविनाशी होता है.
अक्षय तृतीया की व्रत कथा
अक्षय तृतीया से जुड़ी एक प्रचलित कथा राजा धर्मदास की है. धर्मदास एक गरीब, पर दानी और सत्यवादी वैश्य था. एक दिन उसने एक साधु से अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में सुना. साधु ने बताया कि इस दिन किए गए दान का फल अनंत गुना होता है.
यह सुनकर धर्मदास के मन में भी दान करने की इच्छा प्रबल हुई, लेकिन उसके पास दान करने के लिए कुछ नहीं था. उसने अपनी पत्नी से कहा कि वह इस दिन व्रत रखकर भगवान से प्रार्थना करेगा कि उसे दान करने के लिए धन प्राप्त हो.
अक्षय तृतीया के दिन धर्मदास ने विधि-विधान से व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने स्वप्न में उन्हें दर्शन दिए और एक खजाना प्रदान किया. भगवान ने कहा कि इस खजाने का उपयोग दान-पुण्य में करें.
जागने पर धर्मदास ने देखा कि उसके पास सचमुच एक खजाना रखा हुआ है. उसने उस धन का उपयोग जरूरतमंदों की सहायता करने और दान-पुण्य करने में किया. इस प्रकार धर्मदास को अक्षय तृतीया के व्रत और दान का पुण्य प्राप्त हुआ.
अक्षय तृतीया के लाभ
अक्षय तृतीया का पर्व पुण्य, दान और समृद्धि से जुड़ा हुआ है. इस दिन कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- अक्षय पुण्य: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल अक्षय अर्थात अविनाशी होता है. इनका पुण्य अनंत गुना बढ़कर प्राप्त होता है.
- विशेष कृपा: अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
- समृद्धि: इस दिन सोना, चांदी और रत्न खरीदना शुभ माना जाता है, जिससे व्यापार और जीवन में समृद्धि आती है.
- शुभ कार्य: अक्षय तृतीया के दिन किए गए व्यावसायिक कार्य शुभ फलदायी होते हैं. साथ ही इस दिन विवाह करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया का व्रत कैसे करें?
अक्षय तृतीया के पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है:
- स्नान और पूजा की तैयारी: अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थान को सजाएं.
- भोग और मंत्र: भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद दीप जलाएं, धूप अर्पित करें और भगवान को भोग लगाएं. भोग में तुलसी पत्र, फल और मिष्ठान का इस्तेमाल किया जा सकता है. पुष्पांजलि अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें.
- व्रत का पालन: यदि आप व्रत रख रहे हैं तो पूरे दिन सात्विक भोजन का सेवन करें या फिर फलहार करें. जल का सेवन निर्धारित समय पर ही करें.
- व्रत का पारण: शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण करें. सबसे पहले भगवान का प्रसाद ग्रहण करें और उसके बाद ही भोजन करें.
- दान का महत्व: अक्षय तृतीया के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए. गाय को हरा चारा खिलाना या पौधे लगाना भी इस दिन शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- पीपल पूजन: अक्षय तृतीया के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है. पीपल का पेड़ त्रिदेवों में से एक भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं, दीप जलाएं और प्रदक्षिणा करें.
- अक्षय पात्र की कथा: अक्षय तृतीया से जुड़ी एक अन्य कथा राजा हरिश्चंद्र की है. राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी और धर्मात्मा राजा थे. एक समय उन्हें अपने राज्य और परिवार को खोना पड़ा. दरिद्रता के दौरान भी उन्होंने सत्य का साथ नहीं छोड़ा. अक्षय तृतीया के दिन उन्हें एक दिव्य पात्र मिला, जिससे अन्न अक्षय रूप से प्राप्त होता था. इस पात्र की सहायता से राजा हरिश्चंद्र ने अपने परिवार का भरण-पोषण किया और अंततः वापस अपना राज्य प्राप्त किया.
- अक्षय तृतीया और वेद व्यास: अक्षय तृतीया के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. वेद व्यास हिंदू धर्म के महान ग्रंथों में से एक महाभारत के रचयिता माने जाते हैं. इस दिन वेद व्यास की पूजा करना और ग्रंथों का पाठ करना शुभ माना जाता है.
उपसंहार
अक्षय तृतीया हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है. इस दिन दान-पुण्य, पूजा-अर्चना और व्रत रखने का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए सभी कर्मों का फल अक्षय अर्थात अविनाशी होता है. अक्षय तृतीया का पर्व हमें दान-धर्म करने और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.
इस लेख में हमने आपको अक्षय तृतीया के महत्व, कथा, पूजा विधान और लाभों के बारे में विस्तार से बताया है. आप इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें.