हिंदू धर्म में अनेक व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है, जो परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किए जाते हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है अहोई अष्टमी, जो हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुखी जीवन और स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। इस दिन स्याहु माला धारण करने की परंपरा भी है, जिसका विशेष महत्व है। स्याहु माला को धारण करने से अकाल मृत्यु का संकट टलता है और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत के महत्व, स्याहु माला धारण की विधि और इसके नियमों के बारे में विस्तार से।
अहोई अष्टमी का धार्मिक महत्व (Religious importance of Ahoi Ashtami)
अहोई अष्टमी का व्रत माताएं विशेष रूप से अपनी संतान की रक्षा और उनके दीर्घायु जीवन के लिए करती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखने की परंपरा है, जो सुबह से लेकर रात तक बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है। संतान की सलामती और दीर्घायु के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन माताएं अहोई माता की पूजा करती हैं और तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। इस व्रत में स्याहु माला धारण करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
स्याहु माला का महत्व और पूजा विधि (Syahu Mala Puja Vidhi)
स्याहु माला अहोई अष्टमी के दिन धारण की जाती है। इसे धारण करने का मुख्य उद्देश्य संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस माला में चांदी के मोती पिरोए जाते हैं, और हर साल एक अतिरिक्त मोती जोड़ने की परंपरा है, जो संतान की उम्र बढ़ने का प्रतीक होता है। स्याहु माला धारण करने से संतान को लंबी आयु और सुखमय जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
स्याहु माला धारण की विधि
- अहोई माता की पूजा: अहोई अष्टमी के दिन सबसे पहले अहोई माता की पूजा की जाती है। इसके लिए एक साफ स्थान पर अहोई माता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें और पूजा की तैयारी करें।
- मिट्टी के घड़े में जल भरें: पूजा के दौरान मिट्टी के घड़े में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर रखें। यह प्रक्रिया व्रत के दौरान विशेष मानी जाती है।
- स्याहु माला की स्थापना: पूजा के समय स्याहु माला को अहोई माता की तस्वीर पर अर्पित करें। माला में चांदी के मोती पिरोए जाते हैं, और हर साल इसमें एक नया मोती जोड़ा जाता है।
- संतान के साथ पूजा: यह माना जाता है कि संतान को पूजा के समय साथ बिठाना शुभ होता है। इससे पूजा का प्रभाव बढ़ता है और माता की कृपा संतान पर बनी रहती है।
- तिलक और माला धारण: पूजा के बाद अहोई माता और स्याहु माला को तिलक करें। माला का तिलक करने के बाद उसे गले में पहन लें। आप इसे बाजू में या कंठ में भी धारण कर सकते हैं।
- निर्जला व्रत और तारों को अर्घ्य: दिनभर निर्जला व्रत रखें और शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। इससे व्रत पूर्ण होता है और मातारानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्याहु माला धारण करने के नियम (Syahu Mala Dharan Niyam)
स्याहु माला धारण करना एक पवित्र कर्म माना जाता है, जिसके कुछ विशेष नियम होते हैं। इन नियमों का पालन करने से माला का पूर्ण लाभ मिलता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं स्याहु माला धारण करने के कुछ प्रमुख नियम:
1. शरीर की शुद्धि:
माला धारण करने से पहले शरीर को शुद्ध करना आवश्यक होता है। इसके लिए सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। शारीरिक शुद्धि के बिना माला धारण करना अनुचित माना जाता है।
2. माला की पूजा:
माला को धारण करने से पहले इसकी विधिवत पूजा की जाती है। माला पर रोली, चंदन और अक्षत चढ़ाएं और इसे अहोई माता के चरणों में अर्पित करें। इससे माला पवित्र हो जाती है और इसे धारण करने का महत्व बढ़ जाता है।
3. शुभ मुहूर्त में माला धारण:
माला को हमेशा शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। अहोई अष्टमी के दिन माला धारण करने का सही समय पूजा के बाद का होता है। इस समय माला पहनने से संतान की रक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
4. मन की शांति:
माला धारण करते समय मन को शांत और स्थिर रखना चाहिए। इस समय भगवान की आराधना करें और मन से हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर रखें। यह माला धारण करने का सबसे महत्वपूर्ण नियम है।
5. स्नान और साफ कपड़े:
माला धारण करने से पहले स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें। माला को धारण करने से पहले इसे अच्छे से साफ करें और किसी गंदे स्थान पर न रखें।
स्याहु माला धारण से प्राप्त होने वाले लाभ (Syahu Mala Dharan Laabh)
स्याहु माला धारण करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं। यह माला विशेष रूप से संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए धारण की जाती है। आइए जानते हैं स्याहु माला धारण करने से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभ:
- संतान की रक्षा: स्याहु माला धारण करने से संतान की सुरक्षा होती है और उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। माता-पिता अपनी संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए यह माला धारण करते हैं।
- सुख-समृद्धि का वरदान: स्याहु माला धारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह माला व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर करती है और उसे सौभाग्य का वरदान देती है।
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद: जिन दंपत्तियों को संतान नहीं है, उन्हें स्याहु माला धारण करने से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह माला उन परिवारों के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है, जो संतान की कामना रखते हैं।
अहोई अष्टमी का व्रत माताओं द्वारा संतान की सुरक्षा, दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए किया जाता है। इस दिन स्याहु माला धारण करना विशेष महत्व रखता है, जो संतान की उम्र बढ़ने और उनकी रक्षा का प्रतीक है। माला धारण करने के नियमों का सही ढंग से पालन करने से व्यक्ति को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा और व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने से माता अहोई का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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