You are currently viewing Yam Dwitiya 2024 :यम द्वितीया कब है 2024, तिथि, पूजा विधि और यम द्वितीया की कथा

Yam Dwitiya 2024 :यम द्वितीया कब है 2024, तिथि, पूजा विधि और यम द्वितीया की कथा

यम द्वितीया, जिसे भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन होता है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों का स्वागत करती हैं, उनकी पूजा करती हैं और उनके कल्याण की कामना करती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहनों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी रक्षा का वचन लेते हैं।

Yam Dwitiya 2024

2024 में यम द्वितीया तिथि और मुहूर्त (Yam Dwitiya 2024 Date & Time)

2024 में यम द्वितीया का पर्व रविवार, 3 नवंबर को मनाया जाएगा। आइए देखें इस वर्ष यम द्वितीया की तिथि और शुभ मुहूर्तों को –

  • तिथि: कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, द्वितीया तिथि
  • सूर्योदय: 06:08 AM (IST)
  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 08:21 AM (IST)
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 06:20 AM (IST, 4 नवंबर)
  • यम द्वितीया अपराह्न मुहूर्त: 01:21 PM से 03:08 PM (IST)

यदि आप यम द्वितीया की पूजा किसी विशिष्ट मुहूर्त में करना चाहते हैं तो ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं।

यम द्वितीया की पूजा विधि (Yam Dwitiya Puja Vidhi)

यम द्वितीया की पूजा विधि सरल है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए यमराज की पूजा करती हैं और उनका स्वागत करती हैं। आइए विस्तार से जानें यम द्वितीया की पूजा विधि –

  1. पूजा की तैयारी:
    • यम द्वितीया की पूजा से पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
    • यमराज की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
    • पूजा की थाली में दीपक, अगरबत्ती, रोली, मौली, सिंदूर, फूल, फल, मिठाई, पान का पत्ता, सुपारी आदि सामग्री रखें।
  2. यमराज की पूजा:
    • सबसे पहले यमराज का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें।
    • यमराज को जल अर्पित करें और स्नान कराएं।
    • यमराज को रोली, मौली, और सिंदूर का तिलक लगाएं।
    • यमराज को फूल, फल, मिठाई और पान का बीड़ा अर्पित करें।
    • यमराज की आरती उतारें और यमराज की आरती का पाठ करें।
    • यमराज से अपने और अपने भाई के कल्याण की कामना करें।
  3. भाई की पूजा:
    • यमराज की पूजा के बाद अपने भाई को चौकी पर बिठाएं।
    • अपने भाई को तिलक लगाएं और यज्ञोपवीत धारण कराएं।
    • भाई को मिठाई खिलाएं और उनके हाथों से बना भोजन कराएं।
    • भाई की आरती उतारें और भाई की आरती का पाठ करें।
    • अपने भाई को आशीर्वाद दें और उससे रक्षा का वचन लें।
  4. भेंट-उपहार:
    • बहनें अपने भाइयों को राखी, मिठाई, फल, वस्त्र और अन्य उपहार देती हैं। यह उपहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
    • भाई अपनी बहनों को साड़ी, गहने, वस्त्र और अन्य उपहार दे सकते हैं। यह उपहार बहनों के सम्मान और उनके प्रति स्नेह का भाव प्रदर्शित करता है।

यम द्वितीया की कथा (Yam Dwitiya Ki Katha)

यम द्वितीया की कथा भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह कथा यमराज और उनकी बहन यमुना के रिश्ते पर आधारित है।

  • कथा यमराज, मृत्यु के देवता हैं, जबकि यमुना, सूर्यदेव की पुत्री और यमराज की बहन हैं। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थीं। यमराज अपने कर्तव्यों में बहुत व्यस्त रहते थे, जिस कारण यमुना उन्हें कम ही देख पाती थीं।

एक बार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना ने यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। यमराज अपनी बहन के प्रेम से वशीभूत होकर उनके घर पहुंचे। यमुना ने अपने भाई का बहुत ही प्यार से स्वागत किया और उनके लिए भोजन आदि का इंतजाम किया। उन्होंने पूरे दिन साथ बिताया और बातचीत की।

जाते समय, यमुना को अपने भाई से मिलने का दुख हुआ। उन्होंने यमराज से वचन देने के लिए कहा कि वे हर साल उनसे मिलने आएंगे। यमराज ने अपनी बहन के प्रेम को देखते हुए उन्हें वचन दिया कि वे हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को उनसे मिलने जरूर आएंगे।

तभी से, इस दिन को यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों का स्वागत करती हैं, उनकी पूजा करती हैं और उनके कल्याण की कामना करती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और मजबूती का प्रतीक है।

यम द्वितीया का महत्व (Yam Dwitiya Significance)

यम द्वितीया का सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्व है। आइए देखें यम द्वितीया के महत्व को विस्तार से –

  • भाई-बहन का प्रेम: यम द्वितीया का मुख्य महत्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को मजबूत करना है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि भाई-बहन एक दूसरे के लिए कितने महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए यमराज की पूजा करती हैं और उनका स्वागत करती हैं। यह भाई-बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है।
  • परिवारिक बंधन: यम द्वितीया का त्योहार परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है। इस दिन भाई-बहन मिलते हैं, बातचीत करते हैं और एक दूसरे के सुख-दुख साझा करते हैं। यह त्योहार पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यमराज का आशीर्वाद: यम द्वितीया के दिन यमराज की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। साथ ही, अपने मृत पूर्वजों को भी शांति मिलती है।
  • सामाजिक सद्भाव: यम द्वितीया का त्योहार समाज में सद्भाव और मेलजोल बढ़ाने में भी सहायक होता है। इस दिन न केवल सगे भाई-बहन बल्कि सहेलियां और मित्र भी एक दूसरे को तिलक लगाकर यम द्वितीया की शुभकामनाएं देते हैं। इससे समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द का वातावरण बनता है।

उपसंहार

यम द्वितीया का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन भाई-बहन मिलते हैं, एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत बनाते हैं। आशा करते हैं कि यह लेख आपको यम द्वितीया के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने में सहायक रहा होगा। आप अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और अपने रिश्ते को और मजबूत बनाएं।

ALSO READ:-

Bhagavad Gita Chapter 2 Verse-Shloka 30 – गीता अध्याय 2 श्लोक 30 अर्थ सहित – देही नित्यमवध्योSयं देहे…..

Leave a Reply