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Bhai Dooj 2024 :भाई दूज 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

भाई दूज, जिसे यम द्वितीया, भैया दूज, कुमार द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार दीपावली की रोशनी के बाद कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों के लिए विशेष भोजन तैयार करती हैं, उनकी पूजा करती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं और उपहार देती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार भेंट करते हैं। आइए, इस लेख में हम भाई दूज 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानें।

Bhai Dooj 2024

भाई दूज 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Date & Tithi)

2024 में, भाई दूज का पर्व रविवार, 3 नवंबर को मनाया जाएगा। आइए, इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियों और शुभ मुहूर्तों पर एक नजर डालते हैं:

  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 2 नवंबर 2024, शुक्रवार, शाम 6:16 बजे
  • द्वितीया तिथि समाप्त: 3 नवंबर 2024, रविवार, शाम 4:37 बजे
  • अभूज मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक (यह वह समय होता है जब बहनें पूजा का शुभारंभ कर सकती हैं)
  • यम द्वितीया मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से 2:30 बजे तक (यह यमराज की विशेष पूजा करने का शुभ समय होता है)

भाई दूज की पूजा विधि: भाई के लिए मंगल कामना (Bhai Dooj Puja Vidhi)

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों के लिए पूजा का आयोजन करती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। आइए, भाई दूज की विधि को चरण दर चरण समझते हैं:

  1. स्नान और पूजा की तैयारी: सबसे पहले, बहनें स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके चौकी या आसन बिछाया जाता है।
  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए थाली में रोली, मौली, चावल, अक्षत, सिंदूर, दीपक, कपूर, मिठाई, फल और भोग के लिए बनाया गया भोजन रखा जाता है।
  3. भाई का आसन: भाई को पूजा स्थल पर आसन दिया जाता है।
  4. आचमन: भाई को जल का आचमन कराया जाता है।
  5. तिलक लगाना: बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। तिलक लगाने के लिए रोली और चंदन का प्रयोग किया जा सकता है।
  6. मंत्रोच्चार: बहनें यम द्वितीया की कथा का पाठ करती हैं और भाई के लिए मंगल कामना करती हैं।
  7. आरती और प्रसाद: भाई की आरती उतारी जाती है और दीप प्रज्वलित किया जाता है। इसके बाद भाई को भोजन और मिठाई का प्रसाद ग्रहण कराया जाता है।
  8. आशीर्वाद: भाई बहन को आशीर्वाद देता है और उपहार भेंट करता है।

भाई दूज की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें बहन के प्रेम और भक्ति का भाव निहित होता है। यह परंपरा भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाती है।

भाई दूज का महत्व: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक (Bhai Dooj Significance)

भाई दूज का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण है। आइए, इसके महत्व को विस्तार से समझते हैं:

  • भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाना: भाई दूज का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के बीच प्रेम और स्नेह के बंधन को मजबूत करना है। यह त्योहार उन्हें एक साथ आने और अपने बचपन की यादों को ताजा करने का अवसर प्रदान करता है। भोजन करना, बातें करना और उपहारों का आदान-प्रदान करना भाई-बहन के रिश्ते में मिठास घोलता है।
  • परिवार में सद्भाव का संदेश: भाई दूज का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए खुशी का अवसर होता है। इस दिन पूरे परिवार के लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं, भोजन करते हैं और खुशियां बांटते हैं। यह त्योहार परिवार में सद्भाव और एकता का संदेश देता है।
  • सामाजिक सरोकारों को जगाना: भाई दूज का त्योहार हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में भी याद दिलाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें सिर्फ अपने भाई-बहनों का ही नहीं बल्कि समाज के कमजोर वर्गों की भी मदद करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों की सहायता करने से भाई दूज के पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।
  • पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण: भाई दूज का त्योहार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार पीढ़ी दर पीढ़ी मनाया जाता है और हमें अपनी परंपराओं से जोड़े रखता है। भाई दूज मनाने से हम नई पीढ़ी को भी हमारी संस्कृति से अवगत कराते हैं।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: भाई दूज के त्योहार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे से मिलते हैं, खुशियां बांटते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। इससे घर में सकारात्मक माहौल बनता है और तनाव कम होता है।

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक है। यह त्योहार हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखता है और पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण करता है।

भाई दूज की पौराणिक कथा: यम और यमुना की कहानी (Bhai Dooj Katha)

भाई दूज की पौराणिक कथा यमराज और उनकी बहन यमुना के प्रेम और स्नेह पर आधारित है। कथा के अनुसार:

  • यमराज मृत्यु के देवता हैं, जिन्हें संसार के सभी प्राणियों की मृत्यु का लेखा-जोखा रखने का दायित्व सौंपा गया है। यमुना, सूर्यदेव की पुत्री और यमराज की बहन हैं। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थीं।
  • एक समय ऐसा आया जब यमराज यमुना को लेने उनके धाम आए। यमुना यह जानकर डर गईं और उन्होंने यमराज से विनती की कि उन्हें जाने न दें। यमराज ने यमुना को समझाया कि मृत्यु प्रकृति का नियम है और सभी प्राणियों को एक न एक दिन मृत्यु का आलिंगन करना पड़ता है।
  • यमुना नहीं मानीं और उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वह हर साल द्वितीया तिथि को उनसे मिलने आएंगी और उन्हें भोजन कराएंगी। यमराज अपनी बहन के प्रेम और भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने वचन दिया कि वह हर साल द्वितीया तिथि को यमुना से मिलने जरूर आएंगे।
  • तब से, यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों के लिए विशेष भोजन बनाती हैं, उनकी पूजा करती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं और उपहार देती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार भेंट करते हैं।

भाई दूज के कुछ रोचक तथ्य: (Bhai Dooj Facts)

  • भाई दूज का त्योहार दीपावली की रोशनी के बाद मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
  • भाई दूज को यम द्वितीया, कुमार द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
  • भाई दूज के दिन भाई-बहन एक दूसरे को मिठाई, फल और अन्य उपहार देते हैं।
  • कुछ क्षेत्रों में, भाई दूज के दिन भाई-बहन एक साथ यमुना नदी में स्नान करते हैं।
  • भाई दूज का त्योहार भारत के अलावा नेपाल और मॉरिशस में भी मनाया जाता है।

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