हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इस वर्ष तिल द्वादशी 9 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान किया जाता है, और यदि यह संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद तिल के जल से भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है और पूजा सामग्री में तिल अर्पित किए जाते हैं।
पूजा के बाद तिल का नैवेद्य चढ़ाया जाता है और उसका प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
तिल द्वादशी महत्व (Teel Dwadashi Mahatva)
तिल द्वादशी व्रत करने से हर तरह का सुख और वैभव मिलता है, और यह व्रत कलियुग के सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, और यज्ञ करने से अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास का विशेष महत्व है। पंडितों का मानना है कि भगवान विष्णु को माघ महीने में स्नान करने से अत्यधिक प्रसन्नता होती है, जिससे व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। माघ मास में सभी तिथियों और व्रतों का महत्व है, लेकिन द्वादशी तिथि को उपवास करके भगवान की पूजा करने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। हालांकि माघ मास की प्रत्येक तिथि महत्वपूर्ण होती है, लेकिन एकादशी और द्वादशी तिथि भगवान विष्णु को विशेष रूप से समर्पित हैं।
तिल द्वादशी 2025 तिथि (Teel Dwadashi 2025 Date)
तिल द्वादशी व्रत माघ माह की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में तिल द्वादशी 09 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा तिल से की जाती है। पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
तिल द्वादशी पर ये करे (Teel Dwadashi Do’s)
तिल द्वादशी का दिन भगवान शिव और विष्णु जी दोनों की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन तिल और गुड़ से बने पकवान भगवान शिव और विष्णु को भोग स्वरूप अर्पित करना चाहिए। माघ मास में पड़ने वाली तिल द्वादशी पर पवित्र नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्य करने का प्रयास करना चाहिए। जरूरतमंदों को तिल, गुड़ और गर्म कपड़ों का दान करना शुभ माना जाता है। यदि कोई महिला तिल द्वादशी का व्रत करती है, तो उसे व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और नियम के साथ करना चाहिए।
भगवान विष्णु को अर्पित करें तिल का भोग (Teel Dwadashi Bhog)
द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा से पहले व्रत और दान का संकल्प लें। फिर “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इसके बाद फूल, तुलसी पत्र और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें। पूजा के पश्चात तिल का नैवेद्य चढ़ाएं और उसका प्रसाद लें एवं बांटें। इस विधि से पूजा करने पर कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने में हुए पाप समाप्त हो जाते हैं।
तिल द्वादशी पूजा विधि (Teel Dwadashi Puja Vidhi)
द्वादशी तिथि पर कोई विशेष पूजा आवश्यक नहीं होती, लेकिन इस दिन की गई पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने नित्य कर्मों से निवृत्त हों और स्नान करें। यदि पास में कोई पवित्र नदी हो, तो वहां स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति साफ स्थान पर स्थापित करें। अपनी नियमित पूजा को विधिपूर्वक करें। तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का भोग भगवान को अर्पित करें और इसे प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों के साथ साझा करें। इससे पूजा का महत्व और बढ़ जाता है।
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