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September Purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा 2024 में कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू धर्म के पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे जन्माष्टमी, राधाष्टमी, कौमार पूर्णिमा और उमा पूर्णिमा जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है. यह पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष मानी जाती है। इस पवित्र दिन पर भक्तगण व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, इस लेख में भाद्रपद पूर्णिमा 2024 की तिथि, पूजा विधि, महत्व और इस दिन की कुछ खास बातों के बारे में विस्तार से जानें।

भाद्रपद पूर्णिमा
September Purnima 2024

भाद्रपद पूर्णिमा 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima 2024 Date and Time)

भाद्रपद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्ष 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व 17 सितंबर, को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त रात 8:02 बजे से 12:22 बजे तक रहेगा।

पूर्णिमा तिथि का समय:

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 सितंबर, को सुबह 11:44 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 18 सितंबर, सुबह 08:00 बजे

भाद्रपद पूर्णिमा की विधि-विधानपूर्वक पूजा (Bhadrapada Purnima 2024 Puja Vidhi)

भाद्रपद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा करना आवश्यक है। आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि के बारे में –

  1. पूर्व तैयारियां: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ और धुले हुए वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धीकरण करें।
  2. मूर्ति स्थापना: एक चौकी पर लकड़ी का आसन बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन और आरती: इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप-बत्ती लगाएं। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उनकी आरती उतारें।
  4. फल-फूल और नैवेद्य: भगवान विष्णु को तुलसी दल, शंख, कमल का फूल, चावल, दूध, दही, शंखपुष्पी, कमल गट्टे आदि का भोग अर्पित करें। देवी लक्ष्मी को कमल का फूल, इत्र, सिंदूर, वस्त्र, सुपारी, कौड़ी, श्रृंगार का सामान आदि अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए “ॐ श्रीं लक्ष्मी नमः” मंत्र का जाप करें। आप अपनी इच्छानुसार अन्य वैदिक मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
  6. व्रत कथा का श्रवण: भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी कथा का श्रवण करना शुभ माना जाता है। इससे जुड़ी कथाएं सुनने से आपको पुण्य की प्राप्ति होगी और मन को शांति मिलेगी।
  7. दान का महत्व: भाद्रपद पूर्णिमा पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान कर सकते हैं।

भाद्रपद पूर्णिमा की महिमा (Bhadrapada Purnima Significance)

भाद्रपद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। आइए, इस उप-विभाग में भाद्रपद पूर्णिमा के धार्मिक और सांसारिक महत्व को विस्तार से जानते हैं –

  • मोक्ष की प्राप्ति: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन साधना करने से आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है और मोक्ष की प्राप्ति के द्वार खुलते हैं।
  • पापों का नाश और मन की शांति: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और ईश्वर की भक्ति करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है। साथ ही, मन को शांति और सकारात्मकता प्राप्त होती है। इस दिन दया, करुणा और अहिंसा का पालन करने से आंतरिक सुख की प्राप्ति होती है।
  • सुख-समृद्धि का आगमन: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
  • पितृ कार्यों का शुभारंभ: भाद्रपद पूर्णिमा के पश्चात् पितृ पक्ष आरंभ हो जाता है। इस दिन से श्राद्ध कर्म करने का विधान माना जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा पर पितरों को तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • कन्या पूजन का विधान: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ क्षेत्रों में कन्या पूजन करने का विधान भी है। कन्याओं को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति का वास होता है और कन्याओं के रूप में माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी कुछ खास बातें

भाद्रपद पूर्णिमा के धार्मिक महत्व के साथ-साथ कुछ खास बातें भी हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है। आइए, इन बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं –

  • सात्विक भोजन ग्रहण करें: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन मांसाहार, मदिरापान और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन ग्रहण करने से मन और शरीर शुद्ध होता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना शुभ माना जाता है। इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है।
  • क्रोध और लोभ का त्याग: भाद्रपद पूर्णिमा पर क्रोध और लोभ जैसे नकारात्मक भावों का त्याग करना चाहिए। दया, करुणा और सत्य का पालन करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
  • पर्यावरण संरक्षण का संदेश: भाद्रपद पूर्णिमा पर पेड़-पौधों की पूजा करने और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने का महत्व है। पेड़-पौधे लगाकर और पर्यावरण को स्वच्छ रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व हमें आध्यात्मिक चेतना जगाने और सकारात्मक कर्म करने की प्रेरणा देता है। इस दिन ईश्वर की भक्ति करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और मन को शांति मिलती है।

भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी कथाएं (Bhadrapada Purnima Katha)

भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनका श्रवण करना शुभ माना जाता है। आइए, इन कथाओं को संक्षेप में जानते हैं –

  • सत्यवान सावित्री की कथा: भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कथा सत्यवान सावित्री की है। इस कथा के अनुसार, सत्यवान नामक राजकुमार को यमराज द्वारा मृत्युदंड दिया गया था। उनकी पत्नी सावित्री अपने पति के प्रति अटूट प्रेम और सत्यनिष्ठा के कारण यमराज को प्रभावित करती हैं और सत्यवान को पुनर्जीवन दान प्राप्त कर लेती हैं। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन इस कथा का श्रवण करने से सच्चे प्रेम और सत्यनिष्ठा का महत्व समझ में आता है।
  • कुरु वंश का उद्धार: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान परशुराम द्वारा कुरु वंश का सर्वनाश कर दिया गया था। बाद में भगवान विष्णु के आदेश पर भष्मपर्ण नामक ऋषि ने भाद्रपद पूर्णिमा के दिन यज्ञ का आयोजन किया और कुरु वंश के मृत पूर्वजों को तर्पण दिया। इससे कुरु वंश का उद्धार हुआ। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • लक्ष्मी जयंती: कुछ क्षेत्रों में भाद्रपद पूर्णिमा को लक्ष्मी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

भाद्रपद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए, संक्षेप में इसके वैज्ञानिक पहलुओं को जानते हैं –

  • पूर्णिमा का चंद्रमा: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है। इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणों का पृथ्वी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष जड़ी-बूटियों का संग्रहण औषधीय गुणों को बढ़ा देता है।
  • ज्वार-भाटा का प्रभाव: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर अधिक प्रभाव डालता है, जिससे समुद्र में ज्वार-भाटा का प्रभाव अधिक होता है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: भाद्रपद पूर्णिमा पर उपवास करने और सात्विक भोजन ग्रहण करने से शरीर शुद्ध होता है और पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। साथ ही, मन को शांति मिलती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व हमें धर्म, अध्यात्म और विज्ञान के समागम का बोध कराता है। इस दिन ईश्वर की आराधना करने, सकारात्मक कर्म करने और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

उपसंहार

भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व हमें अध्यात्मिक ज्योति जगाने और सद्कार्यों का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। इस दिन ईश्वर की भक्ति करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है, मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। भाद्रपद पूर्णिमा के उपरांत किए जाने वाले कार्यों को भी विधिपूर्वक संपन्न करना चाहिए। ऐसा करने से हमें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

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