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Masik Durgashtami Vrat List 2024 :मासिक दुर्गाष्टमी व्रत सूची 2024, तिथि और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो शक्ति की स्वरूपा मां दुर्गा को समर्पित है. यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत 2024 में कब-कब पड़ेगा, इसका महत्व क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है.

Masik Durgashtami Vrat List 2024

2024 में मासिक दुर्गाष्टमी की तिथियां (Masik Durgashtami 2024 Dates List)

वर्ष 2024 में मासिक दुर्गाष्टमी निम्नलिखित तिथियों को पड़ेगी:

  • 18 जनवरी
  • 17 फरवरी
  • 17 मार्च
  • 16 अप्रैल
  • 15 मई (यह व्रत बीते हुए 14 मई को रखा गया था)
  • 14 जून
  • 14 जुलाई
  • 13 अगस्त
  • 11 सितंबर
  • 11 अक्टूबर
  • 9 नवंबर
  • 8 दिसंबर

आप अपने क्षेत्र के अनुसार तिथियों में मामूली अंतर देख सकते हैं, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग का संदर्भ लेना उचित रहेगा.

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व (Masik Durgashtami Importance)

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. आइए, इसके कुछ प्रमुख महत्वों को जानते हैं:

  • आध्यात्मिक विकास: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत रखने और मां दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास प्राप्त होता है. मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
  • पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. पूर्वजन्म के कर्मों का भी निवारण होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.
  • मनोकामना पूर्ति: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को मनोकामना पूर्ति करने वाला व्रत भी माना जाता है. यदि आप सच्चे मन से मां दुर्गा की आराधना करते हैं, तो आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं.
  • सुख-समृद्धि: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन सुखमय बनता है.
  • रोगों से मुक्ति: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत रखने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है. माता दुर्गा सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाती हैं और आरोग्य का वरदान देती हैं.
  • शत्रुओं पर विजय: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक होता है. मां दुर्गा शक्ति की देवी हैं और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को पार कर सकता है.

इनके अलावा भी मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के कई अन्य धार्मिक और सामाजिक महत्व हैं. यह व्रत व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने और सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा देता है.

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की विधि (Masik Durgashtami Vrat Vidhi)

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से ही इसका पूरा फल प्राप्त होता है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की पूजा कैसे की जाती है:

व्रत की तैयारी (पूर्व संध्या)

  • व्रत संकल्प: मासिक दुर्गाष्टमी से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को शाम के समय व्रत का संकल्प लें. घर की साफ-सफाई करें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. सात्विक भोजन ग्रहण करें और मन को शुद्ध रखें.

पूजा का शुभ मुहूर्त

  • सुबह स्नान: मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को भी साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें.

पूजा सामग्री

माता दुर्गा की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्रित कर लें:

  • माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर
  • कलश
  • दीपक और तेल
  • अगरबत्ती और धूप
  • गंगाजल
  • रोली, मौली, सिंदूर और चंदन
  • फूलों की माला
  • फल और मिठाई का भोग
  • पान का पत्ता
  • सुपारी

आप अपनी श्रद्धा अनुसार अन्य पूजा सामग्री भी शामिल कर सकते हैं.

पूजा विधि

  1. कलश स्थापना: सबसे पहले मिट्टी या तांबे के कलश को गंगाजल से शुद्ध करें. उसमें थोड़ा सा गंगाजल भरकर आम या मौली का धागा बांधें. इसके बाद कलश में कच्चा सूत, बताशा, सिक्का और अक्षत डालें. अंत में आम के पत्ते को कलश के मुख पर रखें और उस पर नारियल रख दें. कलश को पूजा स्थान पर स्थापित करें और उसका पूजन करें.
  2. आसन और संकल्प: पूजा स्थान पर आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं. मां दुर्गा का ध्यान करें और शुद्ध मन से संकल्प लें कि आप मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत विधि-विधान से पूर्ण श्रद्धा के साथ कर रहे हैं.
  3. षोडशोपचार पूजन: माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर का गंगाजल से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं. उनका श्रृंगार करें और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करें. धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं. माता दुर्गा को सुपारी, पान का पत्ता और उनका प्रिय भोग अर्पित करें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें.
  4. मंत्र जाप: आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं या “या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” जैसे दुर्गा मंत्रों का जप कर सकते हैं.
  5. आरती: मां दुर्गा की आरती करें. आप किसी भी प्रचलित दुर्गा आरती का पाठ कर सकते हैं.
  6. कथा: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी कथा पढ़ें या सुनें. इससे आपको व्रत के महत्व के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी.
  7. व्रत का पारण: अगले दिन सुबह स्नान करके और दान-पुण्य करके व्रत का पारण करें. सबसे पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें.

व्रत के नियम

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को पूरे विधि-विधान से करने के साथ ही इसके कुछ नियमों का भी पालन करना आवश्यक होता है:

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम

  • सात्विक भोजन (ต่อ): मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन न करें. सादा भोजन लें या निर्जला व्रत रखें (अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार).
  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. मन को शुद्ध रखें और काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से दूर रहें.
  • पूजा का ध्यान: पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें और मां दुर्गा का ध्यान करें. पूजा विधि को विधिपूर्वक संपन्न करें.
  • दान का महत्व: मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के दिन दान का विशेष महत्व होता है. अपनी श्रद्धा अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें. इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होगी.
  • सकारात्मक सोच: व्रत के दिन सकारात्मक सोच रखें और अच्छे कर्म करें. दूसरों की सहायता करें और सदाचारी जीवन व्यतीत करें.

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी मान्यताएं

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनके बारे में जानना रोचक है:

  • मां दुर्गा का प्रसाद स्वरूप कन्या पूजन: कुछ क्षेत्रों में मासिक दुर्गाष्टमी को कन्या संकष्ट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कन्याओं को भोजन कराकर उनका पूजन करने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि कन्याओं में मां दुर्गा का अंश होता है और उनका पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
  • शक्ति का प्रतीक अष्टमी तिथि: हिंदू धर्म में अष्टमी तिथि को शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने से उनकी शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
  • नवरात्रि का पूर्वाभ्यास: मासिक दुर्गाष्टमी को आगामी नवरात्रि का एक छोटा स्वरूप भी माना जाता है. इस दिन व्रत रखने और मां दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को नवरात्रि के लिए आध्यात्मिक रूप से तैयार होने में सहायता मिलती है.

उपसंहार

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत आस्था और शक्ति का प्रतीक है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ प्राप्त होता है. मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. यदि आप मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का आह्वान करना चाहते हैं, तो मासिक दुर्गाष्टमी व्रत जरूर रखें. इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर आप विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं और व्रत का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं.

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