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Gita Jayanti 2024: इसी तिथि पर हुआ था 5 हजार 161 साल पहले भगवद गीता का जन्म, जाने पूजा की सही तिथि

धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। यह दिन सनातन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र है, क्योंकि इसे श्रीमद्भगवद्गीता के अवतरण का दिन माना जाता है। गीता जयंती 2024 में यह शुभ तिथि 11 दिसंबर को पड़ रही है।

Gita Jayanti 2024

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लगभग 5,161 वर्ष पूर्व, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। महाभारत युद्ध के आरंभ से पहले अर्जुन अपने परिजनों के विरुद्ध युद्ध करने को लेकर असमंजस और दुख से भरे हुए थे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें धर्म, कर्म और जीवन के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान दिया। यह दिव्य उपदेश ही श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व (Gita Ka Mahatva)

गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने का मार्गदर्शन भी प्रदान करती है। इसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग, और भक्तियोग के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है। गीता के उपदेश हमें सिखाते हैं कि अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कैसे जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। यह ग्रंथ हमें धर्म, भक्ति और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है।

गीता जयंती 2024 के पूजन मुहूर्त (Gita Jayanti 2024 Date and Time)

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दोपहर में दिया था, इसलिए गीता जयंती पर दोपहर का समय पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:15 से 6:09
  • अमृत काल: सुबह 9:34 से 11:03
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 से 2:39
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:22 से 5:45

भगवान श्रीकृष्ण और गीता जी की पूजा विधि (Gita Jayanti Puja Vidhi)

  1. प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें अक्षत और फूल डालें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  3. एक स्वच्छ चौकी पर फूल और रंगोली से सजावट करें। भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  4. भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
  5. भगवद्गीता ग्रंथ को भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के पास रखें।
  6. श्रीकृष्ण और गीता जी को चंदन, रोली, और कुमकुम से तिलक लगाएं। फूलों की माला अर्पित करें।
  7. धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित कर आरती करें।
  8. आरती के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के भजन गाएं।
  9. अंत में, गीता जी का पाठ करें या श्रवण करें और उसके उपदेशों पर मनन करें।

गीता जयंती पर भगवान श्रीकृष्ण और भगवद्गीता की पूजा करना जीवन में शांति, समृद्धि और धर्म के प्रति आस्था को बढ़ाता है। यह दिन हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने और जीवन को उच्च आदर्शों के साथ जीने की प्रेरणा देता है।

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