भैया दूज का पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत और प्रेमपूर्ण बनाने के लिए मनाया जाता है। इसे भ्रात द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और आशीर्वाद का संचार करना है।
इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उनका न्योता स्वीकार करते हैं और वहां अन्न-जल ग्रहण करते हैं। इस अनुष्ठान से दोनों के जीवन में सुख, शांति और संपदा बनी रहती है।
इस वर्ष भैया दूज का पर्व मिथिला पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।
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द्वितीया तिथि का आरंभ 2 नवंबर को रात 7:10 बजे होगा और यह तिथि 3 नवंबर को रात्रि 8:32 बजे तक रहेगी। इसलिए भैया दूज का व्रत 3 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
व्रत के लिए शुभ मुहूर्त दिन में 11:30 बजे से शाम 3:30 बजे तक रहेगा, जो तिलक और पूजा के लिए सबसे अनुकूल माना गया है।
भैया दूज के दिन बहन अपने भाई को रोली, अक्षत, दीप और फूलों से तिलक करती है।
तिलक विधि का महत्व
तिलक के साथ भाई की कलाई पर रक्षा का धागा भी बांधा जाता है। इस प्रक्रिया में बहनें अपने भाइयों के जीवन में सुख-शांति और सफलता की प्रार्थना करती हैं।
भाइयों को भी अपनी बहनों का आशीर्वाद लेना जरूरी होता है, चाहे बहन बड़ी हो या छोटी, उसका आशीर्वाद भाई के लिए अनमोल होता है।
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