You are currently viewing Akshaya Tritiya 2024: साल 2024 में अक्षय तृतीया कब है, क्यों मनाई जाति है अक्षय तृतीया क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

Akshaya Tritiya 2024: साल 2024 में अक्षय तृतीया कब है, क्यों मनाई जाति है अक्षय तृतीया क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

अक्षय तृतीया, जिसे वैशाख शुक्ल तृतीया भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे शुभ और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह दिन अपार सौभाग्य और पुण्य कमाने का अवसर प्रदान करता है. यह साल मई के महीने में पड़ता है और 2024 में 10 मई को मनाया जाएगा। आइए, इस लेख में हम अक्षय तृतीया के महत्व, तिथि, पूजा विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानें।

Akshaya Tritiya 2024

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है? (Akshaya Tritiya Significance)

अक्षय तृतीया को कई महत्वपूर्ण कारणों से मनाया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • भगवान विष्णु का अवतार: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम, का जन्म इसी दिन हुआ था।
  • सूर्य और चंद्रमा का संयोग: इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित होते हैं, जो ज्योतिषीय रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • गंगा नदी का अवतरण: यह माना जाता है कि पवित्र गंगा नदी इसी दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।
  • पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति: अक्षय तृतीया के दिन स्नान, दान और पूजा करने से मनुष्य को अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • नए कार्यों की शुभ शुरुआत: यह दिन व्यापार, शिक्षा या किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुरू किए गए कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।

अक्षय तृतीया का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व (Akshaya Tritiya Importance)

अक्षय का अर्थ है “कभी नष्ट न होने वाला”। इसलिए, अक्षय तृतीया के दिन किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठान और दान का फल अक्षय होता है, अर्थात उनका पुण्य लाभ स्थायी रूप से प्राप्त होता रहता है।

  • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा: अक्षय तृतीया भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित एक विशेष दिन है। इन दोनों देवताओं की पूजा करने से वैभव, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सोना और चांदी खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
  • दान का महत्व: अक्षय तृतीया के दिन दान करने का विशेष महत्व है। गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

अक्षय तृतीया से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाएँ (Akshaya Tritiya Katha)

अक्षय तृतीया के महत्व को समझने के लिए इससे जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथाओं को जानना आवश्यक है। आइए, उन कथाओं पर एक नज़र डालें:

  • भगवान परशुराम का जन्म: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। उनके पिता महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप उन्हें परशुराम जैसा पराक्रमी पुत्र प्राप्त हुआ। भगवान परशुराम धर्म के रक्षक और अधर्मियों का नाश करने वाले देवता के रूप में जाने जाते हैं।
  • गंगा नदी का अवतरण: पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी गंगा, जो मोक्ष प्रदान करने वाली पवित्र नदी मानी जाती है, इसी दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।
  • गंगा नदी का अवतरण : भगवान भागीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इसी कारण अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
  • कुबेर को अक्षय धन का वरदान: एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने धन के देवता, कुबेर को अक्षय तृतीया के दिन ही अक्षय धन का वरदान दिया था। इस वरदान के कारण कुबेर को अपार धन-संपत्ति का स्वामी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन धन-संबंधी कार्यों को करना, जैसे – धन का लेन-देन, निवेश या नया व्यापार शुरू करना, शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि (Akshaya Tritiya Puja Vidhi)

अक्षय तृतीया के शुभ दिन पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए, अब हम विधि-विधान से अक्षय तृतीया की पूजा करने की प्रक्रिया को जानते हैं:

  1. पूजा की तैयारी: अक्षय तृतीया के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने पूजा स्थान को साफ करें और सजाएं।
  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए गंगाजल, अक्षत, फल, फूल, धूप, दीपक, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), तुलसी पत्र, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र आदि की आवश्यकता होगी।
  3. आसन ग्रहण करें: पूजा स्थान पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  4. संकल्प: पूजा की शुरुआत में संकल्प लें। संकल्प में “मैं अक्षय तृतीया के पवित्र अवसर पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने का संकल्प लेता/लेती हूं। उनकी कृपा से मुझे पुण्य लाभ प्राप्त हो और मेरे सभी कार्य सफल हों।” ऐसा कहें।
  5. पंचामृत स्नान: सबसे पहले भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें साफ जल से स्नान कराएं और वस्त्र अर्पित करें।
  6. आभूषण और तिलक: भगवान विष्णु को तुलसी माला और देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें। इसके बाद दोनों देवताओं को आभूषण और तिलक लगाएं।
  7. धूप और दीप प्रज्वलित करें: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को धूप और दीप अर्पित करें। धूप की सुगंध से पूजा स्थल शुद्ध हो जाता है और दीप का प्रकाश आत्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  8. मंत्र जप: इसके बाद भगवान विष्णु के पवित्र मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ विष्णवे नमः” का जप करें और देवी लक्ष्मी के लिए “ॐ श्रीं महालक्ष्मीये नमः” का जप करें। आप अपनी इच्छानुसार अन्य स्तोत्र या मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।
  9. पूजा का उपसंहार: पूजा के अंत में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को भोग लगाएं और आरती करें। अंत में दक्षिणा अर्पित करें और पूजा की समाप्ति की प्रार्थना करें।

अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले अन्य कार्य

पूजा-पाठ के अलावा, अक्षय तृतीया के दिन कई शुभ कार्य किए जाते हैं, जिनका फल मनुष्य को जीवन भर प्राप्त होता रहता है। आइए, उन कार्यों के बारे में जानते हैं:

  • दान का महत्व: अक्षय तृतीया के दिन दान करने का विशेष महत्व है। आप अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान कर सकते हैं। गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आप गौशाला में गाय की सेवा कर सकते हैं या किसी वृद्धाश्रम में जाकर वृद्धों की सेवा कर सकते हैं।
  • शादी-विवाह का मुहूर्त: अक्षय तृतीया विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के लिए भी एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन किए गए विवाह मजबूत और सफल होते हैं।
  • नए व्यापार या कार्य की शुरुआत: जैसा कि हमने पहले बताया, अक्षय तृतीया नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन नए व्यापार की शुरुआत करने से व्यापार में सफलता और वृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, इस दिन नौकरी की शुरुआत करना या किसी नए कोर्स में दाखिला लेना भी शुभ होता है।
  • घर में कलश स्थापना: अक्षय तृतीया के दिन घर में कलश स्थापना का भी विधान है। कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें आम के पत्ते, सोने या चांदी का एक सिक्का और थोड़ा सा अक्षत डालें। इस कलश की पूजा करें और इसे पूरे साल घर में रखें। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • पीपल के पेड़ की पूजा: अक्षय तृतीया के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। पीपल का पेड़ त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का स्वरूप माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं, दीप जलाएं और पेड़ की परिक्रमा करें। ऐसा करने से ग्रहों की शांति होती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  • सोना-चांदी की खरीदारी: अक्षय तृतीया के दिन सोना और चांदी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदे गए सोने-चांदी में वृद्धि होती है और यह सौभाग्य लाता है। आप अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार सोने या चांदी का कोई छोटा आभूषण या सिक्का खरीद सकते हैं।

अक्षय तृतीया का पर्व हमें अपने जीवन में धर्म, कर्म और दान का महत्व सिखाता है। इस दिन किए गए शुभ कर्मों और दान का फल हमें जीवन भर प्राप्त होता रहता है। आइए, हम सब मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें।

Leave a Reply