गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, ज्ञान, शिक्षा और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता का पवित्र त्योहार है। यह हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन, शिष्य अपने गुरुओं के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima Significance)
गुरु पूर्णिमा का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन भगवान वेद व्यास, जिन्हें हिंदू धर्म के सबसे महान गुरुओं में से एक माना जाता है, के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान व्यास ने महाभारत, वेद, पुराण और अन्य कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी।
गुरु पूर्णिमा का यह दिन हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। गुरु ही वे होते हैं जो हमें ज्ञान की रोशनी प्रदान करते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
गुरु पूर्णिमा के 50 अनमोल उद्धरण (50 Guru Purnima Quotes)
- “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरुदेव की, जिन गोविंद दियो बताय।” – संत कबीर
- “गुरु बिना ज्ञान नहीं, ज्ञान बिना वैराग्य नहीं। वैराग्य बिना मोक्ष नहीं, मोक्ष परम गति है।” – स्वामी विवेकानंद
- “गुरु रवि हैं, शिष्य चंद्रमा हैं। जब चंद्रमा रवि के प्रकाश में आता है, तो वह भी प्रकाशित हो जाता है।” – अज्ञात
- “गुरु तो वह दीप है, जो अंधकार दूर करता है। ज्ञान का प्रकाश फैलाता है, और जीवन को सार्थक बनाता है।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य का संबंध पवित्र होता है। यह प्रेम और सम्मान का रिश्ता होता है।” – अज्ञात
- “गुरु का कर्त्तव्य है कि वह शिष्य को ज्ञान दे। और शिष्य का कर्त्तव्य है कि वह गुरु का सम्मान करे।” – अज्ञात
- “गुरु ज्ञान का भंडार होता है। वह शिष्य को जीवन जीने का तरीका सिखाता है।” – अज्ञात
- “गुरु मार्गदर्शक होता है। वह शिष्य को सही रास्ते पर चलने में मदद करता है।” – अज्ञात
- “गुरु प्रेरणा का स्रोत होता है। वह शिष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।” – अज्ञात
- “गुरु वात्सल्य का सागर होता है। वह शिष्य को प्यार और स्नेह देता है।” – अज्ञात
- “गुरु की कृपा से ही जीवन सफल होता है। इसलिए गुरु का सदैव सम्मान करना चाहिए।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है।” – अज्ञात
- “इस दिन हम गुरुओं के चरणों में प्रणाम करते हैं, और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें ज्ञान और शिक्षा के महत्व को समझने का अवसर देता है।” – अज्ञात
- “आइए हम इस पावन अवसर पर गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें, और उनके उपदेशों का पालन करें।” – अज्ञात
- “गुरुओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञान का द्वार खोलती है।” – अज्ञात
- “गुरुओं का सम्मान करना ही सच्चा ज्ञान है।” – अज्ञात
- “गुरुओं के चरणों में प्रणाम करने से पापों का नाश होता है।” – अज्ञात
- “गुरुओं की कृपा से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें सद्गुरु की प्राप्ति का अवसर देता है।” – अज्ञात
- “आइए हम इस पावन अवसर पर सद्गुरु की प्रार्थना करें, और उनसे जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त करें।” – अज्ञात
- “गुरु ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शक है।” – अज्ञात
- “गुरु के बिना जीवन अधूरा है।” – अज्ञात
- “गुरु का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता।” – अज्ञात
- “गुरुओं का सम्मान करना ही हमारी संस्कृति है।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें गुरुओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर देता है।” – अज्ञात
- “ज्ञान की ज्योति जलाने वाले, हमें सन्मार्ग पर चलाने वाले, गुरुओं को कोटि-कोटि नमन।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य में प्रेम का बंधन होता है। यह प्रेम ही ज्ञान को प्राप्त करने की शक्ति देता है।” – अज्ञात
- “गुरु का आशीर्वाद जीवन को सफल बनाता है। इसलिए गुरु का सदैव आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करें।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।” – अज्ञात
- “सच्चा गुरु वही होता है, जो शिष्य में छिपी प्रतिभा को पहचाने और उसे निखारे।” – अज्ञात
- “गुरु का मार्गदर्शन ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं के चरण स्पर्श कर के हम अपने अहंकार को त्यागते हैं।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य का रिश्ता आध्यात्मिक होता है। यह रिश्ता जीवन भर बना रहता है।” – अज्ञात
- “गुरु की वाणी ही वेद वाणी के समान पवित्र होती है।” – अज्ञात
- “विद्यार्थी जितना सीखने के लिए उत्सुक होता है, गुरु उतना ही ज्ञान देने के लिए तैयार रहता है।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य का संबंध माता-पिता के समान पवित्र होता है। गुरु शिष्य को ज्ञान देते हैं, तो वहीं माता-पिता हमें जीवन जीना सिखाते हैं।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें ये सीख देता है कि ज्ञान प्राप्ति की कोई आयु सीमा नहीं होती।” – अज्ञात
- “सच्चा गुरु वही है जो अपने ज्ञान का दंभ नहीं करता, बल्कि सरलता से उसे अपने शिष्यों तक पहुंचाता है।” – अज्ञात
- “गुरु की कृपा से ही जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है। इसलिए गुरु का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।” – अज्ञात
- “शिक्षक ज्ञान देते हैं, पर गुरु जीवन जीना सिखाते हैं।” – अज्ञात
- “गुरु का मार्गदर्शन अंधेरे में प्रकाश की तरह होता है।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य का रिश्ता सम्मान और प्रेम का मिश्रण होता है।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें ये याद दिलाता है कि शिक्षा ही जीवन का आधार है।” – अज्ञात
- “गुरु वही बनें जो प्रेरणा दे सकें, और शिष्य वही बनें जो सीखने के लिए तत्पर हों।” – अज्ञात
- “सच्चा गुरु वही है जो अपने शिष्य में आत्मविश्वास जगा सके।”
- “गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना ही हमारा सच्चा सम्मान है।” – अज्ञात
- “गुरु का आशीर्वाद जीवन की यात्रा को सुगम बनाता है।” – अज्ञात
- “गुरु शिष्य का रिश्ता गुरु कृपा और शिष्य श्रद्धा पर टिका होता है।” – अज्ञात
- “गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।” – अज्ञात