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Gayatri Mata Ki Aarti Lyrics :गायत्री माता की आरती -जयति जय गायत्री माता…

गायत्री माता को हिंदू धर्म में वेदों की माता और सभी देवताओं की शक्ति के रूप में पूजा जाता है। गायत्री मंत्र, जो संसार का सबसे पवित्र मंत्र माना जाता है, गायत्री माता को समर्पित है। इस मंत्र के माध्यम से लोग ज्ञान, शुद्धि, और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। गायत्री माता की आरती, जो कि एक विशेष पूजा अनुष्ठान है, भक्तों द्वारा उनके प्रति समर्पण और भक्ति को प्रकट करने के लिए की जाती है। गायत्री माता की आरती का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

Gayatri Mata Ki Aarti Lyrics

गायत्री माता की आरती

जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक क‌र्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥

॥ जयति जय गायत्री माता..॥

जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वःतत्स॑वि॒तुर्वरे॑ण्यं॒भर्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
भावार्थ – उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

गायत्री माता की आरती का महत्व

गायत्री माता की आरती का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। यह आरती भक्तों को आत्मिक शुद्धि, ज्ञान, और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होती है। गायत्री माता की आरती करने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो उसे अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। गायत्री माता को संपूर्ण सृष्टि की माता माना जाता है, और उनकी आरती के माध्यम से भक्तजन अपने जीवन में उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं।

गायत्री माता की आरती विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में आध्यात्मिक प्रगति की इच्छा रखते हैं। गायत्री माता की पूजा के दौरान की गई आरती उनके भक्तों को मानसिक शांति और आंतरिक स्थिरता प्रदान करती है। यह आरती न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का संचार करती है।

निष्कर्ष

गायत्री माता की आरती हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में की जाती है, बल्कि इसे दैनिक जीवन में अपनाने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। गायत्री माता की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस आरती का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

गायत्री माता की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक ऐसा साधन भी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि का संचार कर सकता है। गायत्री माता की आरती में भाग लेना और उसे देखने का अनुभव अपने आप में एक अनोखा और प्रेरणादायक होता है, जो व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है।

गायत्री माता की आरती का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह आरती व्यक्ति को भगवान के समीप ले जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है। गायत्री माता की आरती का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और वह भगवान की कृपा का पात्र बनता है।

अतः, गायत्री माता की आरती एक ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है जो व्यक्ति को समर्पण, भक्ति, और श्रद्धा की ओर प्रेरित करता है। यह आरती न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन के हर पहलू में इसे अपनाने से व्यक्ति को संपूर्णता की प्राप्ति होती है।

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