विष्णु जी की आरती | Jagdish Ji Ki Aarti | ओम जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स | Vishnu Ji Ki Aarti Written PDF Image

भगवान विष्णु हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें संसार का पालनहार और धर्म की रक्षा करने वाला माना जाता है। विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) उनकी भक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे “ॐ जय जगदीश हरे” के नाम से जाना जाता है। यह आरती भक्तों के दुखों को दूर करने, मन को शांति देने और भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है।

इस लेख में हम विष्णु जी की आरती (Jagdish Ji Ki Aarti) के लिरिक्स, इसका महत्व, सांस्कृतिक प्रभाव, और आध्यात्मिक लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही, आपको विष्णु जी की आरती PDF, फोटो और वीडियो लिंक भी मिलेगा, जिससे आप इसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं या ऑनलाइन सुन सकते हैं।

Vishnu Ji Ki Photo
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Table of Contents

विष्णु जी की आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti) – लिरिक्स हिंदी में

भगवान विष्णु की आरती “ॐ जय जगदीश हरे” एक अत्यंत लोकप्रिय भक्ति गीत है, जिसे घर-घर और मंदिरों में गाया जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन किया गया है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Vishnu Bhagwan Ki Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का,
स्वामी दुख बिनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी,
स्वामी तुम अंतर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

दीन बंधु दुख हरता, तुम ठाकुर मेरे,
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
करुणा हस्त उठाओ, द्वार पद तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतान की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

तन-मन-धन और संपति, सब कुछ है तेरा,
स्वामी सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे॥

विष्णु जी की आरती का महत्व (Importance of Vishnu Ji Ki Aarti)

विष्णु जी की आरती का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि इसके कई आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक लाभ भी हैं।

1. भक्ति और श्रद्धा की अभिव्यक्ति

  • इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
  • यह भगवान की कृपा पाने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है।

2. मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा

  • ॐ जय जगदीश हरे का जाप करने से मन को शांति मिलती है।
  • नकारात्मक विचार दूर होते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है।

3. सांस्कृतिक और पारिवारिक महत्व

  • यह आरती भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी गाई जाती है।
  • विशेष त्योहारों जैसे दीपावली, जन्माष्टमी, रामनवमी आदि पर इसे गाने की परंपरा है।

4. आध्यात्मिक लाभ

  • नियमित आरती गाने से आत्मिक शुद्धि होती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के संकट दूर होते हैं।

विष्णु जी की आरती PDF और फोटो डाउनलोड करें

विष्णु जी की आरती (Jagdish Ji Ki Aarti) image
विष्णु जी की आरती image

अगर आप विष्णु जी की आरती को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते हैं या विष्णु भगवान की आरती का फोटो चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक्स की मदद ले सकते हैं:

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) का सांस्कृतिक महत्व

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) का सांस्कृतिक महत्व भी है। यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है। धार्मिक उत्सवों, त्योहारों और विशेष अवसरों पर विष्णु जी की आरती का गायन एक महत्वपूर्ण गतिविधि होती है। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इसे बनाए रखना हमारे सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

  1. धार्मिक उत्सव: विष्णु जी की आरती धार्मिक उत्सवों और त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। जन्माष्टमी, रामनवमी, दीपावली आदि पर विष्णु जी की आरती का विशेष रूप से आयोजन किया जाता है।
  2. पारिवारिक परंपराएं: भारतीय परिवारों में विष्णु जी की आरती का गायन एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसे परिवार के सभी सदस्य मिलकर गाते हैं और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं।
  3. सांस्कृतिक धरोहर: विष्णु जी की आरती भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसे संरक्षित और संवर्धित करना हमारी जिम्मेदारी है।

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) का आध्यात्मिक प्रभाव

विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti) का आध्यात्मिक प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसका गायन भक्तों के मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। आरती का नियमित रूप से गायन करने से व्यक्ति के भीतर एक सकारात्मक परिवर्तन होता है और वह आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।

  1. मन की शांति: विष्णु जी की आरती का गायन मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह तनाव और चिंता को दूर करता है और मन को शुद्ध करता है।
  2. आत्मा की शुद्धि: आरती का गायन आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  3. आध्यात्मिक विकास: विष्णु जी की आरती का नियमित रूप से गायन करने से व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है। यह आत्मज्ञान की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

विष्णु जी की आरती का महत्व धार्मिक पर्वों पर

विष्णु जी की आरती विशेष रूप से इन अवसरों पर की जाती है:

विष्णु भगवान की भक्ति कैसे करें?

  • प्रतिदिन सुबह और शाम आरती करें।
  • गुरुवार को विष्णु जी के नाम का व्रत रखें।
  • भागवत कथा और गीता पाठ सुनें।
  • दान-पुण्य में भाग लें और सबके प्रति दया रखें।

विष्णु जी की आरती वीडियो (Anuradha Paudwal द्वारा)

अगर आप ॐ जय जगदीश हरे आरती को सुनना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए वीडियो लिंक पर क्लिक कर सकते हैं:

विष्णु जी की आरती वीडियो – Anuradha Paudwal

निष्कर्ष: विष्णु जी की आरती का आध्यात्मिक प्रभाव

विष्णु जी की आरती (Om Jai Jagdish Hare) न केवल एक भक्ति गीत है, बल्कि यह मन, आत्मा और परिवार के लिए शांति और सुख का स्रोत है। इसका नियमित पाठ करने से:
✔ मानसिक शांति मिलती है।
✔ भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
✔ जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।

अगर आप भी विष्णु भगवान की कृपा पाना चाहते हैं, तो रोजाना इस आरती का पाठ करें और अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।

॥ ॐ नमो नारायणाय ॥

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विष्णु जी की आरती से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. विष्णु जी की आरती (Om Jai Jagdish Hare) कब गानी चाहिए?

विष्णु जी की आरती किसी भी समय गाई जा सकती है, लेकिन इसे सुबह और शाम के पूजा समय (ब्रह्म मुहूर्त या संध्या काल) में गाना अधिक फलदायी माना जाता है। विशेष त्योहारों जैसे जन्माष्टमी, दीपावली, एकादशी आदि पर इसका पाठ करना शुभ होता है।

2. विष्णु जी की आरती का क्या महत्व है?

यह आरती भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।
इससे मन को शांति मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है।
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के संकट दूर होते हैं।

3. क्या विष्णु जी की आरती PDF में डाउनलोड कर सकते हैं?

हाँ, आप विष्णु जी की आरती PDF डाउनलोड कर सकते हैं। इस लेख में हमने डाउनलोड लिंक दिया है, जिससे आप इसे प्रिंट करके रख सकते हैं या मोबाइल में सेव कर सकते हैं।

4. क्या “ॐ जय जगदीश हरे” आरती और “विष्णु जी की आरती” एक ही हैं?

हाँ, “ॐ जय जगदीश हरे” ही विष्णु जी की मुख्य आरती है। इसे जगदीश जी की आरती या विष्णु भगवान की आरती के नाम से भी जाना जाता है।

5. क्या इस आरती को बिना पूजा के गा सकते हैं?

हाँ, आप इस आरती को बिना पूजा के भी गा सकते हैं। भगवान विष्णु भक्ति के लिए किसी विशेष विधि की बाध्यता नहीं रखते। हालाँकि, यदि संभव हो तो दीपक जलाकर और श्रद्धा से गाना अधिक फलदायी होता है।

6.  क्या यह आरती Anuradha Paudwal के संस्करण में उपलब्ध है?

हाँ, आप Anuradha Paudwal द्वारा गाई गई “ॐ जय जगदीश हरे” आरती यूट्यूब पर सुन सकते हैं। इस लेख में हमने वीडियो लिंक भी दिया है।

7. विष्णु जी की आरती कितनी बार गानी चाहिए?

इसे एक बार, तीन बार या ग्यारह बार गाया जा सकता है। भक्ति भाव के साथ नियमित रूप से गाने से अधिक लाभ मिलता है।

8. क्या इस आरती का संबंध लक्ष्मी जी से भी है?

जी हाँ, भगवान विष्णु को लक्ष्मी-नारायण के रूप में पूजा जाता है। इसलिए, यह आरती धन और समृद्धि का आशीर्वाद भी देती है।

9. क्या बच्चे भी विष्णु जी की आरती गा सकते हैं?

हाँ, बच्चों को यह आरती सिखाना अच्छा है। इससे उनमें आध्यात्मिक संस्कार विकसित होते हैं और मन एकाग्र होता है

अगर आपके कोई अन्य प्रश्न हैं, तो कमेंट में पूछ सकते हैं! जय श्री विष्णु!

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