Yam Deepak 2025| यम का दीया कब जलाया जाएगा| जाने तिथि और दीया जलाने की दिशा

Last Updated: 12 October 2025

यम का दीया : हिंदू धर्म में दीपावली को वर्ष का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी दिन घर-घर में यम का दीपक जलाने की परंपरा भी है, जिसे शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यमराज को समर्पित यह दीपक मृत्यु के भय से रक्षा करता है और जीवन में लंबी आयु तथा स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करता है।

यम
Yam Deepak 2025

क्यों जलाते हैं यम का दीया?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मृत्यु के देवता यमराज के नाम से दीपक जलाना चाहिए। इसे ‘यम दीपक’ कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस दीपक को जलाने से व्यक्ति अकाल मृत्यु से बचता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही, यह परंपरा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। हिंदू धर्म में दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी गई है, इसलिए इस दीपक को दक्षिण दिशा में रखना शुभ फलदायक होता है।

त्रयोदशी तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर होगा। पंचांग की गणना के अनुसार 18 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन संध्या समय दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

यम दीपक 2025 की सही तिथि

यम दीपक जलाने की परंपरा धनतेरस की रात को ही निभाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 18 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन घर के प्रत्येक सदस्य की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना से दीपक जलाया जाता है। स्थानीय पंचांग देखकर सही समय पर दीपक जलाने की परंपरा और भी फलदायी मानी जाती है।

यम का दीपक जलाने की दिशा और स्थान

यम दीपक को जलाते समय दिशा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि दीपक को हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यमराज की मानी जाती है। दीपक को घर के बाहर रखा जाता है ताकि यमराज का आशीर्वाद घर-परिवार तक पहुंचे। कुछ परिवार इसे मुख्य द्वार के बाहर रखते हैं, वहीं कुछ लोग इसे नाली या अन्य स्थानों पर भी स्थापित करते हैं। यह दीप दान मृत्यु भय को दूर करने और घर में शांति बनाए रखने वाला माना गया है।

दीपक जलाने के नियम

यम दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। इसे जलाते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। सबसे पहले दीपक चौमुखी होना चाहिए। इसमें चार बत्तियां लगाई जाती हैं और इन्हें सरसों के तेल में डुबोकर जलाया जाता है। दीपक जलाने के बाद इसे घर के बाहर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है। दीपक जलाते समय यह प्रार्थना करना शुभ माना जाता है कि परिवार का प्रत्येक सदस्य दीर्घायु, स्वस्थ और कष्टों से मुक्त रहे।

प्रार्थना और आध्यात्मिक महत्व

जब यम दीपक जलाया जाता है, तब मन से प्रार्थना की जाती है कि परिवार का कोई भी सदस्य अकाल मृत्यु का शिकार न हो और सबके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। इस परंपरा से न केवल आध्यात्मिक संतोष मिलता है बल्कि मन में सकारात्मक ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। ऐसा माना जाता है कि य मराज स्वयं प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनके जीवन को रोग-शोक से दूर रखते हैं।

धनतेरस और यम दीपक का संबंध

धनतेरस को वैसे तो धन की देवी लक्ष्मी और आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए जाना जाता है, लेकिन य म दीपक भी इस दिन की विशेष परंपरा है। जहां लक्ष्मी पूजन घर में धन और समृद्धि लाता है, वहीं य म दीपक जलाना परिवार की सुरक्षा और आयु वृद्धि से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार धनतेरस के दिन दोनों परंपराएं मिलकर जीवन को संतुलन और सुखदायी बनाने का संदेश देती हैं।

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