August Ekadashi 2025| अजा एकादशी अगस्त में कब मनाई जाएगी | अगस्त की दूसरी एकादशी कब है

August Ekadashi 2025 Date: अजा एकादशी व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को श्रद्धा भाव से रखा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है और विधिपूर्वक व्रत का पालन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन तिथि पर व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही, इस व्रत से पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।

धार्मिक ग्रंथों में अजा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। अब जानते हैं कि अजा एकादशी 2025 में कब मनाई जाएगी और इसका शुभ मुहूर्त क्या है।

अजा एकादशी
Aja Ekadashi Date 2025

अजा एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (August Ekadashi Date 2025)

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 18 अगस्त 2025 को सायं 05 बजकर 22 मिनट पर होगा। यह तिथि समाप्त होगी 19 अगस्त 2025 को दोपहर 03 बजकर 32 मिनट पर। इसी कारण अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन श्रद्धा भाव से उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।

अजा एकादशी 2025 व्रत पारण का समय (Aja Ekadashi 2025 Paran Samay)

अजा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि को पारण किया जाता है। वर्ष 2025 में यह पारण 20 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन पारण का उत्तम समय सुबह 05:53 बजे से लेकर 08:29 बजे तक है। उपवास रखने वाले श्रद्धालु इस अवधि के बीच कभी भी व्रत खोल सकते हैं।

पंचांग अनुसार महत्वपूर्ण समय (20 अगस्त 2025):

  • सूर्योदय: प्रातः 05:22 बजे
  • सूर्यास्त: सायं 05:57 बजे
  • चंद्रोदय: रात्रि 02:29 बजे
  • चंद्रास्त: दोपहर 04:18 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:25 से 05:09 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:35 से 03:27 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: दोपहर 03:22 से सायं 05:04 बजे तक
  • निशीथ काल: रात्रि 12:03 से 12:47 बजे तक

अजा एकादशी का पौराणिक महत्व (Aja Ekadashi Mahatva)

अजा एकादशी का उल्लेख हिंदू धर्मग्रंथ पद्म पुराण में मिलता है। इसके अनुसार, इस पवित्र व्रत को करने से व्यक्ति को गहरे पापों से मुक्ति मिलती है। कथा के अनुसार, सत्यनिष्ठ राजा हरिश्चंद्र को अपने जीवन में अत्यंत कठिन परिस्थितियों और दुखों का सामना करना पड़ा। सत्य के मार्ग पर अडिग रहते हुए उन्होंने अनेक कष्ट सहे। जब उन्होंने महर्षि गौतम की सलाह पर अजा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया, तब उनके समस्त पाप नष्ट हो गए और उन्हें पुनः अपना खोया हुआ राज्य, परिवार और सम्मान प्राप्त हुआ।

यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है जो जीवन में दुःख, दरिद्रता, कर्ज़ या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। अजा एकादशी का श्रद्धा और नियमों से पालन करने से सुख, सौभाग्य और मोक्ष का द्वार खुलता है।

व्रत के साथ दान और सेवा का महत्व

अजा एकादशी केवल व्रत और उपवास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिन दान और परोपकार के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन किया गया दान हजारों यज्ञों और तीर्थस्नानों के समान पुण्यफल प्रदान करता है। शास्त्रों में भी कहा गया है—

“दातव्यं भोक्तव्यं धर्म्यं च सदैव हि।
दत्तं हि सुकृतं लोके परं ब्रह्म न संशयः॥”

अर्थात्, दान और सेवा जीवन का शाश्वत धर्म हैं, जो न केवल इस लोक में बल्कि परलोक में भी कल्याणकारी होते हैं।

अजा एकादशी पर पुण्य अर्जित करने के उपाय (Aja Ekadashi Upay)

इस पवित्र तिथि पर निर्धनों, असहायों, दिव्यांगों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, दवाइयाँ, शिक्षा और भोजन दान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि संभव हो, तो आप नारायण सेवा संस्थान जैसे सेवाभावी संगठनों के माध्यम से दिव्यांग बच्चों को भोजन या अन्य आवश्यक सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। यह सेवा आपको न केवल आत्मिक संतोष देती है बल्कि यह व्रत को और भी अधिक फलदायी बनाती है।

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FAQs

अजा एकादशी 2025 में कब है?

अजा एकादशी 2025 में 19 अगस्त, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह तिथि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है।

अजा एकादशी व्रत का पारण कब और किस समय करें?

अजा एकादशी व्रत का पारण 20 अगस्त 2025 को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सुबह 05:53 बजे से 08:29 बजे तक है।

अजा एकादशी व्रत का क्या पौराणिक महत्व है?

अजा एकादशी का पौराणिक महत्व पद्म पुराण में वर्णित है। इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है। राजा हरिश्चंद्र ने इस व्रत से अपना खोया हुआ राज्य, परिवार और सम्मान पुनः प्राप्त किया था।

अजा एकादशी पर कौन से दान करने से विशेष पुण्य मिलता है?

अन्न, वस्त्र, दवाइयाँ, शिक्षा और भोजन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है, विशेषकर जरूरतमंदों और दिव्यांगों को। यह दान करोड़ों यज्ञों के बराबर फल देता है।

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