राधारानी का दिव्य प्रेम - श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पण की पराकाष्ठा 

Neha Pandey

क्या आप जानते हैं? 

प्रेम और वासना में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है — 

राधारानी का प्रेम, शुद्ध भक्ति का सजीव रूप है। 

राधारानी कौन हैं? 

वे श्रीकृष्ण की आंतरिक ह्लादिनी शक्ति हैं। 

उनका एकमात्र कार्य है — श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना। 

गोपियों में श्रेष्ठ — श्री राधा 

सबसे सुंदर, सबसे समर्पित और सबसे शुद्ध प्रेम करने वाली। 

राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं। 

श्रृंगार — इन्द्रिय सुख या सेवा? 

गोपियाँ सजती थीं लेकिन अपने लिए नहीं — 

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए! 

शुद्ध प्रेम की परिभाषा क्या है? 

जहाँ "मैं" नहीं होता, वहाँ "प्रेम" जन्म लेता है। 

राधारानी का प्रेम — बिना किसी अपेक्षा के समर्पण। 

कृष्ण और राधा की सौंदर्य-प्रतिस्पर्धा एक-दूसरे को देखकर दोनों का सौंदर्य बढ़ता जाता है। दिव्य प्रेम की पराकाष्ठा!

राधारानी की चिंता? 

कहीं श्रीकृष्ण के कोमल चरणों में जंगल के कांटे न चुभें... 

ऐसी भावना — सिर्फ प्रेम में ही संभव है। 

राधा की कृपा = श्रीकृष्ण की कृपा 

जो राधा को प्रसन्न करता है, वह मुझे प्रसन्न करता है। 

कृष्ण की स्वीकार्यता 

जय श्री राधे! राधारानी का प्रेम न समझा जा सकता है, न बाँधा जा सकता है — वह केवल अनुभव किया जा सकता है।

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