क्या है ज्येष्ठ अमावस्या का रहस्य? 27 मई 2025 को आने वाली ज्येष्ठ अमावस्या सिर्फ अमावस्या नहीं, बल्कि पितृ कृपा और शनि शांति का दिन है, जो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है।

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अमावस्या पर पवित्र स्नान क्यों जरूरी है? ब्रह्म मुहूर्त में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। गंगाजल मिलाकर घर पर भी स्नान किया जा सकता है।

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सूर्य देव को अर्घ्य से मिलती है उन्नति तांबे के लोटे में जल, चावल, हल्दी और लाल फूल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देने से ग्रह दोष शांत होते हैं और जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते हैं।

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पितृ दोष से छुटकारा कैसे पाएं? कुश, तिल और जल से तर्पण व पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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पीपल के पेड़ की पूजा क्यों करें? पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर जल अर्पित करें और 7 बार परिक्रमा करें। यह शनि दोष और जीवन की रुकावटों को दूर करता है।

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शनि देव की पूजा से दूर होंगी बाधाएं काले तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र और लोहे की वस्तुएं दान करें और 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप करें। इससे शनि की कृपा प्राप्त होती है।

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क्यों कहते हैं इस दिन को शनि जयंती? मान्यता है कि इसी दिन शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा करने से शनि की महादशा और साढ़ेसाती शांत हो सकती है।

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क्या है ज्येष्ठ अमावस्या का सबसे बड़ा लाभ? इस दिन की गई पूजा, दान और तर्पण पितरों तक सीधा पहुंचता है और उनका आशीर्वाद जीवन की हर बाधा को मिटा सकता है।

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इस अमावस्या पर करें ये उपाय और बदलें अपना भाग्य श्रद्धा और नियम से किए गए छोटे-छोटे उपाय जैसे तर्पण, पीपल पूजा और मंत्र जाप आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। 27 मई को मौका मत चूकिए।

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