क्या आप जानते हैं कि भगवान का नाम जप करके अपने पितरों का कल्याण किया जा सकता है?प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग में इसका दिव्य रहस्य बताया।
प्रेमानंद जी महाराज के सूविचार आजकल सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं।लोग इन्हें जीवन का मार्गदर्शक मान रहे हैं।
भक्त का सवालएक भक्त ने सत्संग में पूछा – "गुरुदेव, क्या हम अपने नाम जप को पितरों को अर्पित कर सकते हैं?"
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प्रेमानंद जी का उत्तरमहाराज जी बोले – जैसे वृक्ष को मूल में जल देने से वह संपूर्ण रूप से तृप्त होता है, वैसे ही भगवान को नाम जप अर्पित करने से सभी तक उसका फल पहुंचता है।
श्रीकृष्ण हैं सबका मूलभगवद गीता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं – "मैं ही सबका मूल हूं।"उन्हें अर्पण करने से सभी का कल्याण होता है।
अलग-अलग अर्पण क्यों?प्रेमानंद जी ने समझाया – जब भगवान ही सबके मूल हैं, तो अलग-अलग अर्पण करने की जरूरत नहीं।एक जगह देने से सबको मिल जाता है।
माला अर्पण का उदाहरणअगर आपने पांच माला जप कर कहा – "हे कृष्ण, ये आपके चरणों में अर्पित हैं, कृपया हमारे पितरों का कल्याण करें,"तो उसका प्रभाव पितरों तक जरूर पहुंचेगा।
पीढ़ियों का उद्धारमहाराज जी ने बताया – सच्चे भाव से किया गया भक्ति-जप 21 पीढ़ियों का कल्याण कर सकता है।यह भगवान की कृपा से संभव है।
नाम जप को श्रीकृष्ण को अर्पण करें।यह एक ऐसा दिव्य माध्यम है, जिससे आपके पितरों, परिवार और स्वयं का भी मंगल होता है।
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