क्या बेटी का जन्म संयोग है या पुण्य कर्मों का फल? गरुड़ पुराण और श्रीकृष्ण के वचनों में छिपा है इसका रहस्य। 

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गरुड़ पुराण का महत्व गरुड़ पुराण, 18 महापुराणों में से एक है, जिसमें कर्मों के फल और जीवन-मृत्यु के रहस्यों का विस्तृत वर्णन मिलता है।

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अर्जुन की जिज्ञासा महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा—किन कर्मों से किसी को पुत्री का सौभाग्य मिलता है?

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श्रीकृष्ण का उत्तर श्रीकृष्ण ने कहा—पुत्र का जन्म भाग्य से होता है, लेकिन पुत्री का जन्म विशेष पुण्य से होता है। यह ईश्वर का वरदान होता है।

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बेटियों का महत्व श्रीकृष्ण बताते हैं कि बेटियाँ ही सृष्टि को आगे बढ़ाती हैं। उनके बिना मानव जाति का अस्तित्व संभव नहीं।

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कौन बनते हैं योग्य माता-पिता? वे माता-पिता जो जिम्मेदारी से पालन-पोषण करें, बेटियों को स्नेह दें—उन्हें ही यह रत्न मिलता है।

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पूर्व जन्म के कर्मों का फल गरुड़ पुराण के अनुसार पूर्व जन्म के अच्छे कर्म ही तय करते हैं कि इस जन्म में किसी को पुत्री प्राप्त होगी या नहीं।

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धन से नहीं, भाव से होता है मूल्य धनवान होने से नहीं, बल्कि बेटियों को प्रेम, सुरक्षा और संस्कार देने वाले लोग ही सच्चे सौभाग्यशाली होते हैं।

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बेटियों का जन्म कोई बोझ नहीं, बल्कि पुण्य का प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह ईश्वर का आशीर्वाद है, जिसे समझना ज़रूरी है। 

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