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Masik Shivratri May 2024 : मासिक शिवरात्रि मई 2024 तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि भगवान शिव के अनन्य भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस पवित्र दिन पर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। आइए, इस लेख में हम मई 2024 में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि की तिथि, महत्व, पूजा विधि और भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपायों के बारे में विस्तार से जानें।

मासिक शिवरात्रि
Masik Shivratri May 2024

मासिक शिवरात्रि 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2024 में मई माह का मासिक शिवरात्रि , 06 मई को पड़ रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त रात्रि 02:16 मिनट से प्रारंभ होकर रात्रि 03:02 मिनट तक रहेगा। आप इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र दिन पर भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • आध्यात्मिक उन्नति: मासिक शिवरात्रि के व्रत और पूजा से आध्यात्मिक विकास होता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • पापों का नाश: इस पवित्र दिन पर सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
  • मनोकामना पूर्ति: मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य ही स्वीकार होती हैं।
  • ग्रह दोषों का निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के व्रत और पूजा से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव कम होते हैं। शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • दांपत्य जीवन में सुख: विवाहित दंपत्ति इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में मधुरता और प्रेम बना रहता है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी इस दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

मासिक शिवरात्रि के पवित्र दिन पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

  • व्रत रखें: मासिक शिवरात्रि का व्रत रखना भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है। आप सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत रख सकते हैं। सात्विक भोजन ग्रहण करें और रात्रि में शिव पूजा के बाद ही पारण करें।
  • पूजा का विधान: इस पवित्र दिन पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग, आंकड़े आदि अर्पित करें। 
  • धूप और दीप प्रज्वलित करें: पूजा के दौरान शुद्ध धूप जलाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव से मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • शिव स्त्रोत का पाठ: मासिक शिवरात्रि के दिन शिव चालीसा, शिवलिंगाष्टक स्तोत्र, रुद्राष्टकम आदि का पाठ करना शुभ माना जाता है। इन स्त्रोतों के पाठ से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
  • दान का महत्व: मासिक शिवरात्रि के पवित्र दिन दान करने का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • शिवलिंग का अभिषेक करें: मासिक शिवरात्रि के दिन दूध, दही, शहद, गंगाजल और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर वस्त्र चढ़ाएं और श्रृंगार करें। ऐसा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि के शुभ दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. पूजा की तैयारी: सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. आसन ग्रहण करें: पूजा स्थान पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं।
  3. संकल्प लें: हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि मैं मासिक शिवरात्रि का व्रत एवं पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूं। भगवान शिव की कृपा से मेरा यह व्रत सफल हो और मेरी मनोकामनाएं पूर्ण हों।
  4. शिवलिंग स्थापना: यदि आपके पास शिवलिंग है तो उसे पूजा स्थान पर स्थापित करें। अन्यथा आप पंचगव्य (गौमूत्र, गोबर, गोदूध, दही और घी) से भी शिवलिंग का निर्माण कर सकते हैं।
  5. जलाभिषेक: शिवलिंग पर शुद्ध गंगाजल से जलाभिषेक करें। इसके बाद दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से बने पंचामृत से भी शिवलिंग का अभिषेक करें।
  6. वस्त्र एवं श्रृंगार: शिवलिंग पर साफ धोती चढ़ाएं और बेलपत्र, धतूरा, भांग, आंकड़े आदि अर्पित करें। इसके बाद चंदन, रोली और पुष्प आदि से शिवलिंग का श्रृंगार करें।
  7. धूप और दीप: शुद्ध धूप जलाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
  8. मंत्र जाप और प्रार्थना: ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा या अन्य स्त्रोतों का पाठ करें। अंत में भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
  9. भोग: भगवान शिव को भोग लगाएं। आप उन्हें फल, मिठाई या पंचामृत का भोग लगा सकते हैं।
  10. पूजा का समापन: अंत में पूजा का समापन करें। आरती की थाल को घुमाकर दाहिनी ओर से तीन बार लें। प्रसाद ग्रहण करें और शेष प्रसाद का वितरण करें।

मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कथाएं

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इन कथाओं के माध्यम से भगवान शिव के महत्व को समझाया गया है। आइए, जानते हैं ऐसी ही दो प्रमुख कथाओं के बारे में:

  • शिव-पार्वती विवाह: पहली कथा के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना अर्धांगिनी स्वीकार कर लिया। इसीलिए, मासिक शिवरात्रि के दिन विवाहित दंपत्ति भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त रूप से पूजा करते हैं, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • समudra Manthan (समुद्र मंथन): दूसरी कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष प्रकट हुआ, तो सारे देवी-देवता भयभीत हो गए। उस विष को पीने का साहस केवल भगवान शिव ने ही किया। उन्होंने विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। इसलिए, भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है। माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनके आशीर्वाद से भक्तों को जीवन में आने वाले सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मासिक शिवरात्रि के दौरान किए जाने वाले अन्य कार्य

मासिक शिवरात्रि के दौरान पूजा-अर्चना के अलावा आप निम्नलिखित कार्य भी कर सकते हैं:

  • रात्रि जागरण: आप मासिक शिवरात्रि की रात्रि में जागरण कर सकते हैं। इस दौरान भगवान शिव के भजनों और मंत्रों का जाप करें।
  • शिव मंदिर दर्शन: इस पवित्र दिन निकटतम शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के दर्शन करें। मंदिर में जलाभिषेक करें और दान-पुण्य करें। मंदिर में शिवरात्रि के पर्व पर होने वाले विशेष आयोजनों में भाग लें।
  • शिव कथा वाचन: आप मासिक शिवरात्रि के दिन घर पर या मंदिर में शिव कथा का वाचन या श्रवण कर सकते हैं। इससे आपको भगवान शिव के जीवन चरित्र और उनके कार्यों के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा।
  • समाज सेवा: मासिक शिवरात्रि के पवित्र दिन समाज सेवा के कार्यों में भी भाग ले सकते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें। वृद्धाश्रम या अनाथालय में जाकर भोजन या वस्त्र दान करें।

निष्कर्ष

मासिक शिवरात्रि आध्यात्मिक उन्नति, पापों के नाश, मनोकामना पूर्ति और जीवन में सुख-शांति पाने का पर्व है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। उम्मीद है कि यह लेख आपको मासिक शिवरात्रि के महत्व और इसे मनाने के तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

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